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Text of PM’s interaction with the beneficiaries of Rural Electrification and SaubhagyaYojana 

Text of PM’s interaction with the beneficiaries of Rural Electrification and SaubhagyaYojana 

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आज मुझे देश के उन 18 हजार गांव के आप सब बंधु से मिलने का मौका मिला है, जिनके यहां पहली बार बिजली पहुंची है। सदियां बीत गईं अंधेरे में गुजारा किया और शायद सोचा भी नहीं होगा कि आपके गांव में कभी उजाला आयेगा कि, नहीं आएगा। आज मेरे लिये ये भी खुशी की बात है कि मुझे आपकी खुशियों में शामिल होने का मौका मिल रहा है। आपके चेहरे की मुस्कान बिजली आने के बाद जीवन में आए बदलाव की बातें ये अपने आप में बहुत बड़ी बात होती है। जो लोग पैदा होते ही उजाला देखते आए हैं, जिन्होंने कभी अंधेरा देखा नहीं है, उनको ये पता नहीं होता कि अंधेरा हटने का मतलब क्या होता है। रात को बिजली होनी घर में या गांव में इसका मतलब क्या होता है। जिन्होंने कभी अंधेरे में जिन्दगी गुजारी नहीं, उनको पता नहीं चलता है। हमारे यहां उपनिषदों में कहा गया है, “तमसो मा ज्योतिर्गमय।।” यानी अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो।

आज मुझे देश भर के उन लोगों से मिलने का अवसर मिला है, जिन्होंने अपने जीवन में अंधकार से प्रकाश का सफर तय करने का सौभाग्य प्राप्त किया है। सालों के अंधेरे के बाद एक तरह उस गांव का जीवन अब रौशन हुआ है। हम सबके पास दिन के 24 घंटे होते हैं। मेरे पास भी 24 घंटे हैं, आपके पास भी 24 घंटे हैं। हर एक व्यक्ति चाहता है कि समय का ज्यादा से ज्यादा सदुपयोग हो, जिससे हमारे स्वयं की, हमारे परिवार की, हमारे समाज और राष्ट्र की तरक्की का रास्ता तैयार हो। लेकिन आपके 24 घंटे में से 10 से 12 घंटे हमेशा-हमेशा के लिये निकल जाते हैं, तब आप क्या कर सकते हैं। क्या बचे हुए 12, 14 घंटों में आप उतना ही कार्य कर सकेंगे, जितने 24 घंटों में करते हैं। आपके मन में सवाल उठेगा कि मोदी जी क्या पूछ रहे हैं और ऐसा किस प्रकार संभव है कि किसी के पास एक दिन में 24 घंटे की जगह मात्र 12, 14 घंटे का समय हो। देशवासियों आपको भले ये सच न लगता हो, लेकिन हमारे देश के सुदूर पिछड़े इलाकों में हजारों गांव में रहने वाले लाखों परिवारों ने दशकों तक इसे जिया है। ऐसे गांव जहां आजादी के इतने वर्ष बाद भी बिजली नहीं पहुंची थी और वहां रहने वालों का जीवन सूर्योदय या सूर्यास्त के बीच सिमट कर रह गया था। सूरज की रौशनी ही उनके काम करने के घंटे तय करती थी। फिर चाहे बच्चे की पढ़ाई हो, खाना पकाना हो, खाना खिलाना हो या और घर के छोटे मोटे काम हों। देश को आजाद हुए कितने दशक बीत गए। लेकिन आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि जब हम सरकार में आए तब देश के 18000 से अधिक गांव ऐसे थे जहां बिजली थी ही नहीं। बड़ी हैरानी होती है ये सोचकर के आखिर ऐसी कौनसी बाधा थी जिसे पार करके पिछली सरकारें अंधियारे में डूबे हजारों गांवों तक बिजली नहीं पहुंचा सकी। पिछली सरकारों ने बिजली पहुंचाने के वादे तो बहुत किये, लेकिन उन वादों को पूरा नहीं किया गया। उस दिशा में कोई काम नहीं हुआ। 2005 यानि करीब – करीब आज से 13 साल पहले उस वक्त तत्कालीन कांग्रेस की सरकार थी। मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थे और उन्होंने 2009 तक देश के हर गांव में बिजली पहुंचा देंगे ये वादा किया था और इतना ही कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष ने तो इससे एक कदम और आगे बढ़ाते हुए 2009 तक हर घर में बिजली पहुंचाने की बात कही थी। अच्छा होता जो अपने आपको बड़े जागरूक और जनहितकारी मानने वाले लोग होते हैं। उन्होंने 2009 में गांव में जाकर के पूछताछ की होती, रिपोर्ट तैयार किये होते, सिविल सोसायटी की बात कही होती, तो हो सकता है कि 2009 नहीं 2010 में हो जाता 2011 में हो जाता, लेकिन उस समय वादे पूरे नहीं हुए। इसको कोई गंभीरता से लेता ही नहीं था। और आज हम जब वादों को गंभीरता से लेते हैं, तो आज ये खोजने का प्रयास होता है, अरे ढूंढ़ो यार इसमें कमी कहां है। मैं मानता हूं यही लोकतंत्र की ताकत है। हमलोग अच्छा करने का लगातार प्रयास करें और जहां कमी रह जाती है, उसको उजागर करके उसको ठीक करने का प्रयास करें। जब हम सब मिलकर के काम करते हैं, तो अच्छे परिणाम भी निकलते हैं।

15 अगस्त, 2015 को मैंने लालकिले के प्राचीर से कहा था। और हमने लक्ष्य तय किया कि हम एक हजार दिन के भीतर देश के हर गांव में बिजली पहुंचाएंगे। सरकार के बिना किसी देरी के इस दिशा में काम करना शुरू किया। इसमें किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं किया। उत्तर से लेकर के दक्षिण तक पूर्व से लेकर के पश्चिम तक देश के हर हिस्से में जो भी गांव बिजली की सुविधा से वंचित थे, पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत वहां बिजली पहुंचाने के कार्य में हम जुट गए। इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली सप्लाई से संबंधित सभी पहलुओं को शामिल किया गया। इस योजना में गांवों, बस्तियों के इलेक्ट्रिफिकेशन के साथ-साथ डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम को मजबूत करने और किसानों को बिजली सप्लाई के लिये अलग फेडर की व्यवस्था को भी आरंभ कर लिया गया। यह भी सुनिश्चित किया गया है कि देश के सभी गांव और उससे जुड़ी बस्तियां चाहे छोटी हो या बड़ी उन्हें इस योजना के तहत एक के बाद एक शामिल करते जाएं और उजाला का विस्तार होता चला गया।

कोई भी गांव या बस्ती चाहे उसकी जनसंख्या कितनी भी कम हो, बिजली सुविधा से वो वंचित न रहे इस लक्ष्य को लेकर के काम कर रहे हैं। जहां पर ग्रि‍ड से जुड़ना संभव न हो उन गांवों पर और उन बस्तियों में ऑफग्रिड माध्यम से बिजली की सप्लाई की व्यवस्था की जा रही है। 28 अप्रैल 2018 यह भारत की विकास यात्रा में एक ऐतिहासिक दिन के रूप में याद किया जाएगा।  मणिपुर का लाइसांग गांव पावर ग्रिड से जुड़ने वाला आखिरी गांव था। यह दिन हर देशवासी के लिये गर्व का क्षण था। और मुझे खुशी है कि आज आखिर में जहां बिजली पहुंची है। उस लाइसांग गांव के लोगों से मैं बातचीत शुरू करना चाहता हूं। सबसे पहले उन्हीं को सुनते हैं, उनका क्या कहना है, ये मणिपुर के सेनापति जिले में हैं …..

देखिये मेरे प्यारे देशवासियों अभी हमनें अलग-अलग अनुभव सुनें कैसे बिजली आने के बाद जीवन आसान हुआ है। जिन 18000 गांवों में बिजली नहीं पहुंची थी। उनमें से अधिकतर गांव बहुत ही दूरदराज इलाकों में है। जैसे कि पर्वतीय क्षेत्रों के बर्फीले पहाड़ों में है, घने जंगलों से घिरे हैं या फिर उग्रवादी एवं नक्सली गतिविधियों के कारण अशांत क्षेत्र में हैं। इन गांवों में बिजली पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं था। ये वो गांव है जहां आने जाने की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है और वहां आसानी से पहुंचा नहीं जा सकता था। कई ऐसे गांव है जहां पहुंचने के लिये तीन चार दिन पैदल चलना पड़ता है। सामान को अलग-अलग माध्यमों से घोड़े पर, खच्चर पर, कंधों पर लेकर नावों से ले जाया गया। कई गांव जैसे जम्मू एवं कश्मीर के 35 गांव तथा अरुणाचल प्रदेश के 16 गांव हेलिकॉप्टर से सामान पहुंचाना था। मैं मानता हूं कि सरकार की उपलब्धि नहीं है। ये हर उस व्यक्ति की उपलब्धि है, उस गांव वालों की उपलब्धि है, जो इस काम से जोड़े गए या उन सरकार के छोटे मोटे मुलाजिम जो दिन रात मेहनत की कष्ट उठाया। खम्भे उठा-उठा कर गये। उन छोटे-छोटे सरकार के मुलाजिमों की ये इनका काम है। इलेक्ट्रिशियन हो, टैक्निशियन हो, मजदूर हो। इस कार्य में जुड़े लोगों के अथक प्रयास का ही परिणाम है कि आज हम हिन्दुस्तान के हर गांव तक रौशनी पहुंचा पाए हैं। मैं उन सभी लोगों को सारे देशवासियों की तरफ से उनका बहुत धन्यवाद करता हूं। उनको शुभकामनाएं देता हूं।

आप देखिए मुम्बई की जब भी बात आती है, तो हमें बड़े-बड़े बिल्डिंग रौशनी से जगमगाता शहर और सड़कें याद आती हैं। मुम्बई से थोड़ी दूरी पर एलीफेंटा द्वीपस्थित है। यह पर्यटन का एक बहुत बड़ा आकर्षित केन्द्र है।एलीफेंटा के गुफाएं यूनेस्को के वर्ल्ड हैरिटेज में है। वहां पर देश विदेश से विशाल संख्या में पर्यटक हरदिन आते हैं। मुझे ये बात जानकर के हैरानी हुई की मुम्बई के इतने पास होने और पर्यटन का इतना बड़ा केन्द्र होने के बावजूद आजादी के इतने वर्षों तक एलीफेंटा द्वीपके गांवों में बिजली नहीं पहुंची थी और न ये मैंने कभी अख़बार में पढ़ा, न टीवी पर बड़ा विशेष कार्यक्रम हुआ की वहां अंधेरा है। किसी को परवाह नहीं थी। हां अभी खुशी है, अब हम काम कर रहे हैं तो लोग पहुंच जाते हैं की बाईं ओर लाइट नहीं आई, दाईं ओर नहीं आई, पीछेआई, आगे नहीं आई, छोटी आई, बड़ी आई। सब हो रहा है। अगर ये चीजें पहले हुई होती। कोई सोच सकता है 70 साल तक हमारा टूरिस्ट डेस्टीनेशन एलीफेंटा द्वीप गांवों के लोग अंधेरे की जिन्दगी गुजार रहे थे। समुद्र में केबल बिछा कर वहां तक बिजली पहुंचाई गई। आज उन गांव का अंधेरा छट चुका है। जब इरादे नेक हों, नियत साफ हो और नीति स्पष्ट हो, तो मुश्किल से मुश्किल लक्ष्य को भी हासिल किया जा सकता है।

आइये चलते हैं कुछ और इलाके में, आईए सबसे पहले झारखंड चलते हैं….

देखिये भाइयों बहनों पिछली सरकारों ने देश के पूर्वी क्षेत्र के विकास पर कोई खास ध्यान नहीं दिया था। ये क्षेत्र विकास और विभिन्न सुविधाओं से वंचित रहा। ये इस बात से समझा जा सकता है कि देश के 18000 से अधिक गांव जहां बिजली नहीं पहुंची थी। उनमें से ये आंकड़ा जरा देश को चौंकाने वाला है। उनमेंसे 18000 में से 14,582 यानि करीब-करीब 15000 गांव ऐसे थे जो हमारे पूर्वी क्षेत्र में थे और उनमें भी यानि 14,582 गांव में से 5790 यानि करीब करीब 6000 गांव नॉर्थ ईस्ट में थे, पूर्वांचल के थे पूर्वोत्तर भारत क्षेत्र के थे। आप देखिये, ये आप टीवी पर देखते होंगे, मैंने उसका नक्शा रखा है। जो लाल-लाल टाइप के दिखते हैं आपको ये सारा इलाका अंधेरे में था। अब मुझे बताइए अगर सबका भला करने के लिये सोचते तो ये हाल होता क्या। लेकिन वहां लोग कम हैं पार्लियामेंट की सीटें भी कम हैं। तो उन सरकारों को ज्यादा फायदा नहीं दिखता था। देश की सेवा राजनीतिक फायदे से जुड़ी हुई नहीं होती। देश की सेवा देशवासियों के लिये होती है और मेरा हमेशा से ये मानना रहा है कि भारत की विकास की यात्रा में और गति आएगी जब हमारे पूर्वी क्षेत्र में रहने वाले लोगों को यहां के समाज का संतुलित विकास भी तेज गति से होगा।

जब हमारी सरकार बनी हम इसी अपरोच के साथ आगे बढ़े और हमने पूर्वोत्तर को विकास की मुख्य धारा में जोड़ने की दिशा में प्रयास शुरू किया। इसके लिये सबसे पहले आवश्यक था कि वहां के गांवों में बिजली पहुंचे और मुझे खुशी है कि आज न सिर्फ पूर्वी भारत के बल्कि देश के हर गांव में बिजली पहुंच चुकी है। गांव का अंधेरा दूर हो चुका है। बिजली आती है तो क्या होता है। जीवन में क्या बदलाव आता है। आप लोगों से बेहतर इस बात को कौन जान सकता है। मुझे देशवासियों के कई सारे पत्र आते रहते हैं। लोग मुझसे अपने अनुभव शेयर करते हैं। मुझे उनके पत्रों को पढ़कर के काफी कुछ सीखने को मिलता है।

आप कल्पना कर सकते हैं कि बिजली आने से गांव में रह रहे सामान्य जनजीवन में कितना बदलाव आया है। अब गांव के लोगों को समय पर अंधियारे का नहीं इनका स्वयं का अधिकार होता है। अब सूर्यास्त में केवल सूर्य अस्त होता है लोगों का दिन अस्त नहीं होता है। बच्चे दिन डूबने के बाद भी बल्ब की रौशनी में आराम से पढ़ाई कर सकते हैं। गांव की महिलाओं को अब रात का खाना शाम को दोपहर से जो बनाना शुरू करना पड़ता था। खाना अभी बना है जल्दी-जल्दी शुरू कर दो का चक्कर चलता था। उस भय से मुक्ति आई है। हाट, बाजार देर तक रात को खुले मिलेंगे। मोबाइल चार्ज करने के लिये दूरदराज कोई दुकान नहीं तलाश करनी पड़ती। अब रात को दूसरे गांव में मोबाइल छोड़कर आओ और सुबह लेने जाऊं और उसी फोन से रात को कोई गड़बड़ कर दे, तो सारा गुनाह आपका बन जाता आप जेल चले जाते हैं। कैसी-कैसी मुसीबतें थीं। जम्मू-कश्मीर के लोग हमारे बीच में हैं आइये, क्योंकि वहां तो पहाड़ों में बड़ी कठिनाई से ये सारा सामान हेलिकॉप्टर से भेजना पड़ता था, तो मैं चाहूंगा कि जम्मू-कश्मीर के मेरे भाइयों बहनों से मैं सुनूं कुछ बातें।

देखिये लाखों लोग जो आज हमारे साथ जुड़े हैं, वो जान पा रहे हैं कि जब विकास होता है तो जीवन पर कितना व्यापक प्रभाव पड़ता है। कितना बड़ा बदलाव आता है। आज देश के हर गांव में बिजली पहुंच गई है। लेकिन हम इतने से संतुष्ट हुए हैं इतना नहीं है, इसलिए अब गांव से आगे बढ़कर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के अंत्योदय के सपने को साकार करने के लिए हमारी सरकार ने इस देश के हर घर को रौशन करने का संकल्प किया है और इस दिशा में प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना जिसका छोटा सा शब्द बनता है सौभाग्य योजना इसकी शुरुआत की गई। इस योजना के तहत बचे हुए सभी घरों को चाहे वो गांव में हो या शहर में बिजली का कनेक्शन उपलब्ध कराया जा रहा है। और इसके तहत चार करोड़ गरीब परिवारों को बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराने का हमने लक्ष्य निर्धारित किया है। और हम इसके लिए एक मिशन मोड में काम कर रहे हैं। अभी तक इस योजना के तहत करीब 80 85 90 लाख से अधिक घरों में बिजली पहुंच चुकी है। गरीब परिवारों के लिए बिजली कनेक्शन बिल्कुल मुफ्त है। वहीं सक्षम परिवारों से सिर्फ 500 रुपये लिए जाएंगे, जिसे कनेक्शन लगने के बाद दस आसान किस्तों में आप अपने बिजली बिल के साथ चुका सकते हैं। घरों में बिजली पहुंचाने के लक्ष्य को तय समय सीमा में पूरा करने के लिए आधुनिक तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। कम से कम समय में लोगों के घर तक बिजली पहुंचे इसके लिये गांवों में कैम्प भी लगाए जा रहे हैं। जहां मौके पर ही सारी प्रक्रिया पूरी कर नये कनेक्शन स्वीकृत किये जा रहे हैं।

इसके अलावा दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों के लिए सौर ऊर्जा, सूर्य ऊर्जा आधारित प्रणालियों का प्रावधान भी किया गया है। मैं मानता हूं कि बिजली सिर्फ प्रकाश की ही पूर्ति नहीं करती, बिजली लोगों में आत्मविश्वास भी भर्ती है। एनर्जी ऊर्जा ये एक प्रकार से गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने का अच्छा साधन भी बन सकता है। गांव-गांव तक पहुंची रौशनी सिर्फ सूरज डूबने के बाद का अंधियारा नहीं मिटा रही, ये रौशनी गांव और गांव के लोगों के जीवन में तरक्की का उजियारा भर रही है। और इसका प्रमाण है आपकी ये बातें, जिन्हें इस बदलाव के बाद आपने अनुभव किया और हमारे साथ यहां साझा किया। सारे देश ने आपको सुना है। कई गांव और भी है समय की कमी है, संसद चल रही है मुझे पहुंचना है पर कुछ गांवों से नमस्ते जरूर करना चाहूंगा। बस्तर को नमस्ते, अलीराजपुर को नमस्ते, सीहोर को नमस्ते, नवपाड़ा को नमस्ते, सीतापुर को नमस्ते और कभी–कभी आप लोग टीवी में देखते होंगे, अखबार में पढ़ते होंगे हमारे विरोधियों के भाषण सुनते होंगे। विरोधियों के गाने बजाने वालों को सुनते होंगे। वो कहते हैं देखो इतने घरों में बिजली नहीं, इतने घरों में बिजली नहीं है। आप ये मत समझिए कि हमारी टीका है या हमारी सरकार की टीका है। ये पिछले 70 साल जो सरकार चला रहे थे उनकी टीका है। ये हमारी आलोचना नहीं है ये उनकी आलोचना है कि इतना काम बाकी रखा है। हम तो उसे पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं।

और इसलिए अगर चार करोड़ परिवारों में बिजली नहीं है, तो इसका मतलब ये नहीं है कि आपके घर में पहले बिजली थी, आपके गांव में पहले बिजली थी और मोदी सरकार ने आकर के सब काट दिया, खंभे उखाड़कर के ले गया, तार सारे ले गये, ऐसा नहीं है। पहले कुछ था ही नहीं। हम लगाने की कोशिश कर रहे हैं। और इसलिए जो लोग बड़े उत्साह में आकर के हमारे विरोधी हमको गालियां देते रहते हैं, उस परिवार में बिजली नहीं पहुंची, उसके घर में बिजली नहीं पहुंची, उधर खम्भा नहीं लगा। पहले किसीने नहीं लगाया था। हम कोशिश कर रहे हैं और आपका साथ सहयोग रहा और छोटे-छोटे लोग जिन्होंने मेहनत की है हम उनको निराश करने का काम न करें। मोदी को जितनी गालियां देनी है देते रहिए। लेकिन जो छोटे-छोटे लोग मेहनत करते हैं गांव में उजियारा लाने के लिए कोशिश करते हैं। उनका हम मान सम्मान बढ़ाएं, उनका हम गौरव करें उनको काम करने का हौसला बुलंद हो, इसके लिए हम सब प्रयास करें तो फिर देश में जो समस्याएं हैं एक के बाद एक समस्याओं से हम हमारे गांव को, हमारे परिवारों को, हमारे देश को बाहर निकाल सकते हैं। क्योंकि आखिरकार हम सबका काम है समस्याएं गिनते जाना ये हमारा काम नहीं है। हमारा काम है समस्यों से मुक्ति दिलाने के रास्ते खोजना।

मुझे विश्वास है कि परमात्मा हम सबको शक्ति देगा। इरादे हमारे नेक हैं। आप सबके प्रति हमारे दिल में इतना प्यार है कि जितना हम आपके लिये करें कम है। हम करते रहेंगे। मैं आखिर में आपको एक वीडियो भी दिखाना चाहता हूं। आइए हम एक वीडियो देखें उसके बाद मैं अपनी बात को समाप्त करूंगा हूं। 

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Source: pib.nic.in
Anand Gupta Editor - EQ Int'l Media Network

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